ऐसे परोसें खाना तो नहीं लेनी पड़ेगी पेन-किलर
आयुर्वेद सदियों से भोजन या अन्न को जीवन के लिए श्रेष्ठ मानता रहा है और हमने यह सुना भी है कि निरोगी तन के लिए निरोगी अन्न भी जरूरी है - और यदि यह प्यार से बनाया,परोसा और खिलाया जाय तो क्या कहने। इसलिए अक्सर घर के खाने में ये सभी गुण बताये गए हैं और अब वैज्ञानिकों की मानें तो अगर भोजन प्यार से बनाया और परोसकर खिलाया जाए तो यह दर्द को भी दूर करने में मददगार होता है।
अब वैज्ञानिकों ने ठीक उसी बात को दुहराया है, जिसे सदियों से हमने अपनी दादी-नानी-मां द्वारा रसोई में बनाए गए खाने से प्राप्त किया है। शायद यह हमारी परम्परा और संस्कृति क़ी ही तकनीक रही है, जिसे हमारे पीछे-पीछे आज के वैज्ञानिक विभिन्न शोधों द्वारा पुष्ट कर रहे हैं, आखिर यूं ही नहीं हम एक महान देश की संस्कृति के लोग कहे जाते ।
तो दर्द से पीडि़त रोगियों को यदि प्यार से बनाकर भोजन खिलाया जाय ,तो वह उसके दर्द को भी दूर करने में सहायक होता है। वैज्ञानिक कर्ट ग्रे का कहना है, कि हमारी भावनाएं इस दुनिया के भौतिक अनुभवों पर अच्छा या बुरा प्रभाव डालती हैं, चलो देर से ही सही अब वैज्ञानिक आयुर्वेद के मूल सिद्धांतों को घुमा फिराकर ही सही , मान तो रहे ही हैं ।
उन वैज्ञानिकओं का कहना है ,अच्छी भावना दर्द को घटाने,खुशियां बढाने और स्वाद को बढाने में सहायक होती है। यह अध्ययन जर्नल सोशल साइकोलोजिकल एंड पर्सनालिटी साइंस में प्रकाशित हुआ है।
गहरी नींद के लिए ये है आयुर्वेदिक इलाज - सर्पगन्धा ये नाम आपने शायद ही सुना हो लेकिन आयुर्वेद में ये बहुत ही उपयोगी जड़ी के रूप में वर्णित है जैसे कि नाम से ही स्पष्ट हो जाते हैं। यह सर्प के काटने पर दवा के नाम पर प्रयोग में आता है।
सर्पगन्धा के अदभुत गुण
सर्प काटने के अलावा इसे बिच्छू काटने के स्थान पर भी लगाने से राहत मिलती दो-तीन साल पुराने पौधे की जड़ को उखाड़ कर सूखे स्थान पर रखते है, इससे जो दवा निर्मित होती है वह बहुत काम की होती है।इसकी पत्ती के रस को निचोड़ कर आंख में दवा के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसका उपयोग मस्तिष्क के लिए औषधि बनाने के काम आता है।
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